Chiku Kalapatti Farming

चीकू

भारत में लगभग 65 हजार एकड़ में चीकू की बागवानी की जाती हैं। इसकी खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में कर्नाटक, तामिलनाडु, केरल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात है। चीकू (Chiku) फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ए, टैनिन, ग्लूकोज़ जैसे कई पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है। इसीलिए इसका सेवन हमारे शरीर के लिए उपयोगी होता है। चीकू फल में एक खास तरह का मिठास वाला गुण होता है चीकू फल की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी कर सकते है, लेकिन उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी को चीकू के फल की पैदावार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसके पौधों को हल्की लवणीय और क्षारीय भूमि में भी आसानी से उगा सकते है। चीकू की खेती करने के लिए खेत का पीएच मान 5.8 से 8 के बीच का होना चाहिए।

क्रिकेट बाल किस्म चीकू की यह किस्म कोलकाता राउंड नाम से भी जानी जाती है। जिसे काली पत्ती किस्म के साथ विकसित किया गया है। इस किस्म में आने वाले फलो का रंग हल्का भूरा और फल गोल होते है। इस किस्म के फल स्वाद में मीठे और पतले छिलके वाले होते है । इसका पूर्ण रुप से विकसित पौधा 155 किलो ग्राम तक का उत्पादन आसानी से दे देता है। चीकू की खेती से पैदावार और लाभ चीकू की उन्नत किस्मों का एक पेड़ से औसतन 130 किलो ग्राम का वार्षिक उत्पादन प्राप्त हो जाता है। इसकी एक एकड़ के खेत में करीब 300 से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं। जिनसे 20 टन के आसपास उत्पादन आसानी से मिल जाता है। चीकू का बाजार में थोक भाव 30 से 40 रुपए प्रति किलो तक का होता है। इस हिसाब से एक एकड़ के खेत में चीकू की एक बार की फसल से किसान भाई 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते है।

न्यूनतम ऑर्डर 100 पौधे पर दी जाने वाली सुविधाएं -

  • फ्री होम डिलवरी 100 कि.मी. तक
  • टेक्निकल सपोर्ट
  • 2 साल तक सुपरविजन
  • 100% रिप्लेसमेंट एक बार 12 से 18 महीने के अंदर
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