सीताफल
सीताफल जिसे शरीफा भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम अनोना स्क्वैमोसा तथा कुल अनोनेसी में आता है। यह धनी और निर्धन वर्ग का सबका प्रिय फल है। यह म.प्र. में जंगली रूप में सर्वत्र पाया जाता है। सीताफल का वृक्ष पर्णपाती, सहनशील, 5.6 मी. ऊंचा होता है जो सूखे, पर्वतीय, कंकरीली मृदा में आसानी से उगाया जा सकता है। सीताफल भारत में ट्रॉपीकल अमेरिका से आया है। यह भारत के सभी प्रांत जैसे विशेष रूप से महाराष्ट्र, असम, बिहार, मप्र, राजस्थान, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है। इसके फल में बहुत सारे प्रति ऑक्सीकारक और खनिज पदार्थ पाये जाते हैं, जो हमारे शरीर को विभिन्न रोगों से बचाते हैं।
सीताफल में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी, विटामिन-बी 6, केल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं।
भूमि -
सीताफल की खेती प्राय: सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकास की उपयुक्त व्यवस्था हो। भूमि का पीएच मान 7-8 के बीच का हो।
उन्नत किस्में -
एनएमके 1 (गोल्डन सुपर) : यह किस्म अधुवन फार्म डॉ. नवनाथ मलहारी कस्पाटे, ग्राम गोरमाले सोलापुर (महाराष्ट्र) से विकसित की गई है। यह किस्म तीन वर्ष बाद फल देना शुरू कर देती है। यह अपने पहले वर्ष में 10 कि.ग्रा. तक फल देती है। और समय के साथ इसकी फल देने की क्षमता बढ़ती जाती है। इसका फल देसी सीताफल खत्म होने के बाद पकता है। और साईज में बड़ा (300 ग्रा. से 600 ग्रा. तक) होता है, जिससे इसका बाजार भाव बहुत अच्छा मिलता है।
न्यूनतम ऑर्डर 100 पौधे पर दी जाने वाली सुविधाएं -
- फ्री होम डिलवरी 100 कि.मी. तक
- टेक्निकल सपोर्ट
- 2 साल तक सुपरविजन
- 100% रिप्लेसमेंट एक बार 12 से 18 महीने के अंदर